10/16/2008

सुनिए राग जोग

पिछले कुछ समय से इस ब्लॉग पर नियमित रूप से नही लिख पा रही हूँ,इसलिए पाठको से क्षमा चाहती हूँ . आज आपको राग जोग जो मेरा पसंदिता राग हैं ,सुनवा रही हूँ ,व इसकी संक्षिप्त जानकारी दे रही हूँ ।

यह राग काफी थाट का राग हैं,इस राग में आरोह में शुद्ध ग व आव्रोह में कोमल ग यानि गंधार लगता हैं ,जाती औडव हैं ,इस राग का गायन वादन समय रात का हैं ।

सारंगी साज को सुरीला बजाना बहुत कठिन हैं ,उस परपंडित गोपाल मिश्रा जी ने इस राग में विलक्षण कठिन व द्रुत साथ ही सुरीली ताने बजायी हैं ,तो लीजिये सुनिए सारंगी परराग जोग का अद्भुत वादन ।

11 comments:

  1. राग अत्यन्त सुंदर है | साथ में आपने जो गणेश जी की मूर्ति लगायी है वो और भी सुंदर है |

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  2. bahut rachnatmak karya ker rahi he aap blog pr,
    it s realy soothing effect for creative minds
    regards

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  3. मुझे तो संगीत का इतना ग्याण नही लेकिन यह बहुत ही मधुर लगा.
    धन्यवाद

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  4. मन के माफिक कोई चीज़ मिल जाए तो कैसा लगे ...आज मुझे बिल्कुल वैसा लगा.... अब तो रात के ढाई बज गए अब आगे सुनूंगा... थोड़ा सा तो गा भी लेता हूँ सुनना तो खैर सुकून देता ही है ...आपको साधुवाद !!

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  5. आ हा हा सुंदर अति सुंदर क्‍या आप इस राग को मुझे मेल कर सकते हैं सच में अदभुत है अगर आप मेल कर दें तो बताना मेरा मेल आईडी मेरे ब्‍लाग पर है धन्‍यवाद अति सुंदर राग को सुनाने के लिए

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  6. बहुत ही सुंदर ।

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  7. राधिकाजी,
    आपके सभी ब्लोग्स का नियमित पाठ्क हूं । आप के सम्वेदनशील लेखन का कायल हू । आपसे एक बात पूछ्नी थी । मेरी पत्नी वीणा सीख रही है । परन्तु हम उत्तर भारतीय हैं, और अधिकतर शिशक दशिण भारतीय हैं । ऐसे मैं आप बतायें की रास्ता क्या है। वीणा उसे पसन्द है, परन्तु ये एक बाधा है । आपकी सलाह का इन्तेज़ार रहेगा ।

    सदभावना सहित,
    दीपक और गीतन्जलि
    dgupta_us@yahoo.com

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  8. achhi jankari ke liye badhai. mere blog (meridayari.blogspot.com)par bhi visit kijiyega vaqt nikalkar
    shivraj gujar

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