4/19/2009

जब मिला तबले को वरदान :सुनिए अद्भुत तबला वादन


रात का समय ....जब पुरी दुनिया गहरी नींद में सो रही थी ...तब वाराणसी के संकट मोचन मंदिर में तबले की थाप गूंज रही थी ,तबले के बोल मानो ईश्वरीय नाद की तरह सम्पूर्ण वातावरण में बहकर उसे दिव्य और भी दिव्य बना रहे थे,अचानक न जाने क्या हुआ और तबले की ध्वनी कम और मंदिर की घंटियों की आवाज़ ज्यादा सुनाई देने लगी ,उन्होंने पल भर के लिए तबले की बहती गंगा को विराम दिया और सब कुछ शांत हो गया ,उन्होंने फ़िर तबले पर बोलो की सरिता का प्रवाह अविरत किया और फ़िर मंदिरों की घंटिया बजने लगी ,सुबह लोगो ने कहा उन्हें ईश्वरीय वरदान मिला हैं ,संकट मोचन हनुमान ने स्वर्गीय पंडित किशन महाराज जी के तबले को वरदान दिया , और उनका तबला युगजयी हो गया ।

स्वर्गीय पंडित किशन जी का जन्म , जन्माष्टमी की वैसी ही आधी रात को हुआ जैसी आधी रात में युगों युगों तक हर ह्रदय पर राज्य करने वाले किशन कह्नैया का जन्म हुआ था ,इस जन्माष्टमी की आधी रात को शायद वर मिला हैं की इस रात दिव्य आत्माए ,देव ,गंधर्व ही पृथ्वी पर जन्म लेंगे ।

स्वर्गीय पंडित किशन महाराज प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे ,माथे पर एक लाल रंग का टिक्का हमेशा लगा रहता था ,वे जब संगीत सभाओं में जाते ,संगीत सभाए लय ताल से परिपूर्ण हो गंधर्व सभाओ की तरह गीत ,गति और संगीतमय हो जाती । अपने पिताजी पंडित हरि महाराज जी से संगीत शिक्षा लेने के उपरांत आदरणीय पंडित किशन महाराज जी ने अपने चाचा पंडित कंठे महाराज जी से शिक्षा ग्रहण की ।

बनारस के संकट मोचन मंदिर में ही पहला संगीत कार्यक्रम देने के बाद सन १९४६ में पंडित जी में मुंबई की और प्रस्थान किया,एक बहुत बड़े संगीत कार्यक्रम के अवसर पर देश के श्रेष्ठ सितार वादक पंडित रविशंकर जी और पंडित किशन महाराज जी पहली बार मिले,जैसे ही इनका वादन सम्म्पन हुआ ,श्रोताओ में से आदरणीय ओमकारनाथ ठाकुर जी उठे और मंच पर जाकर उन्होंने घोषणा की "यह दोनों बच्चे भविष्य के भारतीय शास्त्रीय संगीत के चमकते सितारे होंगे । "उसी दिन से पंडित रविशंकर जी,ओर स्वर्गीय पंडित किशन महाराज जी में गहरी मैत्री हो गई ।

तबला बजाने के लिए वैसे पद्मासन में बैठने की पद्धत प्रचलित हैं ,किंतु स्वर्गीय पंडित किशन महाराज जी दोनों घुटनों के बल बैठ कर वादन किया करते थे ,ख्याल गायन के साथ उनके तबले की संगीत श्रोताओ पर जादू करती थी ,उनके ठेके में एक भराव था , और दाये और बाये तबले का संवाद श्रोतोई और दर्शको पर विशिष्ट प्रभाव डालता था ।

अपनी युवा अवस्था में में पंडित जी ने कई फिल्मो में तबला वादन किया ,जिनमे नीचनगर ,आंधियां,बड़ी माँ आदि फिल्मे प्रमुख हैं ।

कहते हैं न महान कलाकार एक महान इंसान भी होते हैं ,ऐसे ही महान आदरणीय स्वर्गीय पंडित किशन महाराज जी भी थे ,उन्होंने बनारस में दूरदर्शन केन्द्र स्थापित करने के लिए भूख हड़ताल भी की , संगत कलाकारों के प्रति सरकार की ढुलमुल निति का भी पुरजोर विरोध किया ।

सुनिए स्वर्गीय पंडित किशन महाराज जी का तबला वादन


श्रद्धेय किशन महारज जी को मेरा सादर प्रणाम :
इति
वीणा साधिका
राधिका
(राधिका बुधकर )

लेख के अगले अंक में :जब मुझेविचित्र वीणा बजाने हेतु मिला आदरणीय स्वर्गीय पंडित किशन महाराज जी से आशीर्वचन

10 comments:

  1. bahut badhiyajanakari di hai . dhanyawad.

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  2. पंडित किशन महाराज तो ताल के महायोगी थे। सुन कर निहाल हुए।

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  3. अद्भुत....क्या कहूँ...मैंने सुना है उनको कई बार...और अभिभूत हुआ हूँ उनकी क्षमताओं पर...बारम्बार नमन है ऐसे कलाकार को...
    नीरज

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  4. राधिका जी,
    यहाँ एक बात मैं बताना चाहूँगा कि प० किशन महाराज जी लिखते भी थे और संयोग से मुझ नाचीज को उनके साथ दो बार काव्यपाठ का मौका मिला है, एक बार तो उनके ही घर पर "साहित्य कलश" के कार्यक्रम में. आपने मेरी यादें ताज़ा कर दी। इस ब्लाग के लिये आप को कोटि-कोटि धन्यवाद।
    आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
    मैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को
    ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीन
    है कि आप को ये पसंद आयेंगे।

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  5. अद्भुत... आपको बहुत धन्यवाद इसके लिए.
    मैं भारतीय शास्त्रीय संगीत में रूचि बहुत रखता हूँ, पर जानकारी कम है...
    बस जो कर्णप्रिय लगे और मन को सुख में डूबा दे, वो ही पसंद कर पाता हूँ..
    पर इन जैसे कलाकार तो मेरे जैसे मूढ़ को भी संगीतमय कर देते हैं...

    कोटि कोटि धन्यवाद इस विडियो और लेख के लिए.
    आगे आपके विचित्र वीणा के लेख की प्रतीक्षा है...

    ~जयंत

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  6. Radhikaji bahut dino ke bad aapke blog par aana hua, sada kee tarah bahut aanand mila.

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  7. आपके ब्लॉग पर जब भी आता हूं, कुछ न कुछ सीख कर जाता हूं।
    बेहतरीन ब्ल़ग है और पंडित जी के इस कमाल को पेश कर आपने आज दिल जीत लिया। हम सब बेसुरे लोग हैं मगर सुर की तलाश में रहते हैं। खुद के भीतर सुर नहीं मिला तो दूसरों में ढूंढ लेते हैं।
    आप बहुत बड़ा काम कर रही हैं। ब्लागिंग को समृद्ध करने में आपकी बड़ी भूमिका है।

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