8/08/2010

आसानियाँ या आज़ादियाँ ?

आज वीणापाणी पर एक गाना जो मुझे बहुत पसंद हैं क्योकि ये गाना जीवन को दिशा देता हैं .
पहले फोन नही थे हम घंटो लम्बे लम्बे ख़त लिखते थे ,पहले पिज्जा बर्गर नही थे हम हर त्यौहार देर देर तक बैठ कर परंपरागत मिठाइयाँ और पकवान बनाते थे .पहले एक जैसी धुन पर बनते एक ही ताल में बजते ,ताल तो क्या कहे रिदम पर बजते गाने नही थे ,न वेस्ट का अन्धानुकरण था ,न चकमक दीखते जीवन को  पाने की आशा में खोती स्वसंस्कृति और अत्यंत समृद्ध होकर भी अपने ही देश में अपने चाहने वालो को पुकारता भारतीय शास्त्रीय संगीत .तब सभाएं हुआ करती थी घंटों हर उम्र के संगीत रसिक कलाकार बैठ कर शास्त्रीय संगीत सुना,सिखा करते थे ,आज न वो समय हैं ,न किसी के पास वैसा समय .सब भाग रहे हैं ,भागती धुनों पर अपने उद्देश्य ,संस्कृति संगीत को जाने बिना .बस सिखने जो कार के साथ भागता म्युज़िक हो .भारतीय संगीत आज भी वही हैं ,वक्त के साथ उसके उपासको ने संगीत को और ऊँचे स्तर पर ला दिया हैं .लेकिन अब हमें आसनियो की आदत पड़ गयी हैं .झटपट नुडल्स की तरह ऐसा संगीत जो झटपट सीख ले प्रेजेंट कर ले  सीखना चाहते हैं .शास्त्रीय संगीत जिसमे विस्तार हैं सोच हैं पर अब उससे लोगो को इतना प्यार नही हैं .इन्ही आसानियों और आजादियों में फर्क बताता .सोच के रस्ते और भूल की राह की चेतावनी देता मेरा यह पसंदिता गाना .आपके लिए .

5 comments:

  1. पता नहीं क्यों पर गीत को चलाने पर बिल्कुल आवज नहीं आ रही। कृपया गीत के बोल और फिल्म का नाम भी लिख दें।

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  2. kya aap mujhe sangeet se jude kuch anonyms aur synonyms bata sakte hai,mujhe aapka ye vichitra veena sangeet yantra kaafi achcha laga

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  3. acha video song hai.....
    shukriya share karne k liye.....

    Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

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  4. आप सच कह रही हैं हम आसान राहें चुनने के आदि हो चले हैं हमें लंबी मेहनत में कोई विश्वास नही रहा पर जो जितनी आसानी से मिलता है ुतनी ही आसानी से चला भी जाता है । बहुत सुंदर गीत मैने तो पहली बार सुना पर शब्द बहुत भाये ।

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