आज हम जानेंगे राग बिहाग और राग से सम्बंधित कुछ और महत्व पूर्ण तथ्य .
हम सभी जानते हैं की राग थाट से उत्पन्न होता हैं ,तो राग बिहाग का थाट हैं बिलावल ,थाट बिलावल में सब स्वर शुध्द होते हैं,और राग बिहाग में भी सब स्वर शुध्द होते हैं .
इस राग में सारे स्वर लगते हैं पर आरोह में रे ध वर्जित हैं .
आरोह हैं ..
सा ग म प नि सां
आवरोह हैं
सां नि ध प म ग रे सा
यहाँ जिस सा पर मैंने उपर बिंदी लगाई हैं वह हैं तार सप्तक का सां यानि उपर का सा .
यहाँ मैं थोड़ा और स्पष्ट कर दू,जिस राग में सातों स्वर लगते हैं ,उसकी जाती होती हैं सम्पूर्ण,जिस राग में छ: स्वर लगते हैं उसकी जाती होती हैं ,षाड्व,जिस राग में पॉँच स्वर लगते हैं उसकी जाती होती हैं .........औडव .
अब अगर किसी राग में आरोह में पॉँच और अवरोह में सात स्वर लगते हैं तो उसकी जाती हुई ............??
औडव-सम्पूर्ण !इस प्रकार के कॉम्बिनेशन से कुल 9 जातिया बनती हैं ,और मुख्य जातिया होती हैं तीन . इसलिए राग बिहाग की जाती हुई ...?????????
जी ..बिल्कुल सही कहा आपने...औडव - सम्पूर्ण क्योकि आरोह में पॉँच स्वर आवरोह में सात स्वर .
जिस स्वर को राग में सबसे अधिक लगाया जाता हैं वह होता हैं राग का वादी स्वर ,इसे राग का राजा स्वर भी कहते हैं ,तो राग बिहाग का वादी हैं ग .जिस स्वर को राग में वादी स्वर से कम और बाकि स्वरों से ज्यादा लगाते हैं वह होता हैं संवादी स्वर ..राग बिहाग का संवादी स्वर हैं नि,यानि नि राग बिहाग का मंत्री स्वर हैं .विवादी स्वर वह होता हैं जिसके लगाने से राग का रूप नही बिघ्द्ता पर उसको यदा कदा ही लगाते हैं ,इस राग बिहाग में तीव्र मध्यम विवादी के नाते ही लगाते हैं .
रागों के समय के सम्बन्ध में मैंने पी.एच .डी करते समय बहुत रिसर्च किया हैं रागों के समय के सम्बन्ध में ,मैं आपको विस्तृत रूप से धीरे धीरे बताउंगी .पर अभी इतना ही कहूँगी की राग किसी भी समय का क्यो न हो अगर बहुत अच्छे से गाया,बजाय जाए तो हमेशा ही अच्छा लगता हैं,फ़िर भी जानकारी के लिए बिहाग का समय हैं रात्रि का दूसरा प्रहर .
लीजिये अब सुनिए राग बिहाग में ये दो सुरीले गीत ..और सुनकर अगर आपको और कोई गीत इसी राग में हैं ऐसा लगे तो मुझे जरुर बताये ,ताकि मैं उस गीत की स्वर रचना के सम्बन्ध में पुरी जानकारी दे सकू .क्योकि कई बार गीत उस राग से मिलते जुलते रागों में या आंशिक रूप से उस राग में भी हो सकता हैं .
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- अफ़लातून said...
' इक प्यार का नगमा है ' - फिल्म 'शोर' , राग बिलावल । सही?
- महेन said...
इस कक्षा में बहुत ही सीरियस होना पड़ेगा। आज की पोस्ट पढ़कर मालूम हुआ कि पिछली पोस्ट का सब भूल गया। दोबार पढ़ना पढ़ेगा। :(
- Dr. Chandra Kumar Jain said...
बहुत अच्छी प्रस्तुति.
जिंदगी के सफर में.....
ये मकाम संगीत के सुरों का
मेला-सा लेकर आया है.
हमारा आभार स्वीकार कीजिए
इस सुर-सधी सुंदर श्रृंखला के लिए.
आप नाम से भले 'राधिका' हों
पर कर्म से वीणावादिनी की
सच्ची 'आराधिका' हैं !
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शुभकामनाओं सहित
डॉ.चन्द्रकुमार जैन- दिनेशराय द्विवेदी said...
सुंदर, मधुर गीत सुने बहुत दिन हो गए थे। आप के सौजन्य से सुनने का सौभाग्य मिला।
- अबरार अहमद said...
भई मजा आ गया। इस गीत को सुनवाने के लिए धन्यवाद।
इस राग पर आधारित और भी बढ़िया गीत ये हैं..
ReplyDeleteमुश्किल है बहुत मुश्किल चाहत को भुला देना... महल
बचपन की मुहब्बत को दिल से ...
तुम ना जाने किस जहां मं खो गये..