9/05/2008
राग बागेश्री में गीत :राधा ना बोले
रागों के सफर में आज जानेंगे रागा बागेश्री को ,राग बागेश्री काफी ठाट का राग हैं,इस राग में ग व नि स्वर कोमल हैं ,कोमल स्वरों को जब लिखा जाता हैं तो उनके नीचे एक आड़ी रेखा लगाई जाती हैं ,आरोह में रे व प स्वर वर्जित हैं ,अवरोह में केवल प वर्जित हैं इसलिए क्योकि आरोह में पाँच और अवरोह में छ:स्वर लगते हैं तो जाती हुई औडव षाडव। कभी कभी म प ध ग इस तरह से प का प्रयोग किया जा सकता हैं । इसका गायन वादन समय मध्यरात्रि का हैं .इस राग के वादी संवादी स्वर हैं म व सा कुछ लोग वादी कोमल नि और संवादी कोमल ग भी बताते हैं । यह राग मध्यम प्रधान राग हैं यानि इस राग में म स्वर का बहुत प्रयोग हैं किंतु आजकल इस राग पर धैवत्व छाया हुआ हैं,यानि लोग इसमें ध का प्रयोग अधिक कर रहे हैं ।
राग का स्वरुप मैं आपके सामने और अधिक स्पष्ट कर सकूँ , इस हेतु मैंने सोचा की राग के आरोह -अवरोह गायन से ही आपके सामने प्रस्तुत करू ,इसके लिए मैंने अपनी छोटी बहन श्रीमती गीतिका मसूरकर (उपर फोटो )से मदद मांगी की वो यह गा कर रिकॉर्ड कर मुझे भेजे और उसने तुंरत यह मान भी लिया । गीतिका कुशल गायिका हैं और आकाशवाणी और दूरदर्शन की बी हाई ग्रेड कलाकार हैं साथ ही कई शहरो में गायन के कार्यक्रम भी दे चुकीं हैं । तो पहले सुनते हैं गीतिका से राग बागेश्री के आरोह अवरोह और पकड़ .पकड़ याने राग के स्वरों का वह समूह जिससे राग एकदम तुंरत पहचाना जा सके ।
अब सुनते हैं राग बागेश्री में ये गीत :-
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सुनना अच्छा लगा। शुक्रिया।
ReplyDeleteना बोले ना बोले रे....
ReplyDeleteमन के तार बज उठे इस गीत को सुन कर, ओर फ़िर आप का सुन्दर लेख ,धन्यवाद
राधिकाजी,
ReplyDeleteसंयोग कुछ ऐसा बैठा कि अभी रात के ग्यारह बजे हैं यानी बागेश्री सुनने का सही समय . लताजी ने इन तीन मिनटों में मन में सुरों रातरानी महका दी है. एक निवेदन:जब भी फ़िल्मी गीत को शास्त्रीय संगीत के संदर्भ में इस्तेमाल करें जैसे की आज इस पोस्ट में किया है तो संगीतकार का नाम अवश्य दें . क्योंकि शास्त्रीय संगीत की परफ़ॉरमिंग आर्टिस्ट होने से आप एक सर्जक को उसका ड्यू मिले इस बात का अवश्य समर्थन करेंगी. चित्रपट के इन महान और गुणी संगीत साधकों ने समय की मर्यादा में जो खेल किये हैं वे बेजोड़ हैं.जैसे इस गीत का संगीत शायद सी.रामचंद्र ने रचा है और देखिये क्या ख़ूब रचा है. फ़िल्म जगत में संगीतकार को जो मान दिया जाना चाहिये वह नहीं दिया. सारा संसार सबसे पहले अभिनेता और गायक को याद करता है.यह नाइंसाफ़ी है.हम सब को इस दिशा में प्रयास करना होंगे.
आनन्द आ गया.
ReplyDeleteवाह... मज़ा आ गया..
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति से अभिभूत हूं.
bahut munbhayi prastuti
ReplyDeleteRadhika ji ye geet to bachpan se mera priy geet hai aur kyun ki meri badi behan shastrry sangeet seekhi huee theen unhi se in geeton ke ragon ki jankari milati thi. Aapne purani yaden taja kar deen.
ReplyDeleteIf you can comment on Kishori Amonkar and let's hear her bahjans that will be a huge favor.
ReplyDeleteJa
real cool
ReplyDeleteregards
दरअसल आप तो अच्छी तरह जानते हो हर राग का मजा कूच और ही है ...ये बताया भी कहाँ जा सकता है !!
ReplyDelete