कल क्या हुआ?न जाने क्या हुआ?मेरे बुद्धि के बल्ब समान तारे चमके,उन्होंने चमक के कहा ,परिवर्तन ..और मेरे हाथों ने एक कुशल नौकर की तरह आज्ञा का पालन किया.कुछ पल बाद मैं कंप्यूटर के सामने सर पकड़ के बैठी थी ,दिमाग सोच सोच कर थक चुका था ,मुझे अपने उपर इतना गुस्सा आ रहा था की अपना सर फोड़ दूँ . पर वह याद नही आ रहा था ,जिससे मेरी सारी यादें जुड़ी थी, जिसके सहारे मैं जीवन में रोज़ आगे बढ़ रही थी,जिससे मेरा दिन होता था,जिससे शाम मुस्कुराती थी .मेरा दिल गा रहा था..... सूने शाम सबेरे,तब से हैं मेरे,जबसे गये तुम ..................मैंने उसे याद करने का हर सम्भव प्रयत्न कर लिया,फ़िर अपने मित्रो की मदद ली,पर सारे प्रयत्न विफल,अब उसे भुला देना ही एक मात्र उपाय बचा था मेरे पास। ऐसा किसी के साथ न हो की जिसे आप अपने मन मस्तिष्क में इतना बिठा ले वही कही खो जाए।
अरे आपको बताया ही नही वह कौन?अब कैसे बताऊँ ?कैसे ?फ़िर भी बताना तो पड़ेगा ।
वो .............मेरा साथी ,मेरा हमसफ़र ........मेरा .........मेरा ....ईमेल id का पासवर्ड .....
वो खो गया.हुआ यह की मेरे आराम प्रेमी मन ने ब्लॉग पर सारी पोस्ट डाल देने के बाद जब मुझे थोड़ा आराम करने को कहा ,तब मेरे सतत कार्यशील दिमाग ने कहा ...राधिका फालतू नही बैठ ,कुछ नही तो ईमेल का पासवर्ड चेंज कर .मैंने उसकी बात मानली,पासवर्ड बदला और थके हुए दिमाग ने मुझे धोखा दे दिया ,कुछ क्षण बाद वह पासवर्ड मैं भूल गई,और फ़िर शुरू हुई रामकहानी .मेरे दोनों ब्लॉग वाणी और मंथन नही खुल रहे थे,Mail बॉक्स भी नही खुल रहा था ।मैं समझ नही पा रही थी क्या करूँ ?तभी मेरे पतिदेव ऑफिस से लौट आए,उन्हें जब मैंने बताया की ऐसा हो गया हैं ,तो उनके हाथ पैर फूल गए,थरथराती आवाज़ में बोले तुम ये कैसे कर सकती हो ????अब इस सवाल का जवाब मुझे मालूम होता तो बात ही क्या थी ??बोले अब कैसे होगा,तुम ब्लॉग पर कैसे लिखोगी?हे राम !!!!!!!!!!इस सदमे से उनका ब्लड प्रेशर लो हो गया,सारा काम धाम छोड़ कर पहले उन्हें दवाई दी ,ग्लूकोस दिया।
वैसे मैंने अपने दिमाग को धोखेबाज तो कह दिया पर वह भी बिचारा क्या करे?कितने पास वर्ड याद रखे,बैंक का अलग atm का अलग,Mailid का अलग,बैंक लॉकर का अलग,कंप्यूटर का अलग, इंटरनेट का अलग ..पासवर्ड पासवर्ड और पासवर्ड ...इतने पासवर्ड और उस पर गणित की शत्रु मैं । अब कैसे बताऊँ?बचपन से ही मेरी और गणित की बनती नही ,हम दोनों में छत्तीस का आंकडा हैं,इस गणित के चक्कर में न जाने कितनी बार मैंने दोस्तों के उलहाने सहे हैं,टीचर की डांट और मम्मा की मार सही हैं ,हर विषय में, मैं 100 में से 98 कभी 97 कभी ९९ लाती और गणित में 100 में से 10,5 -6-8-3-2-और कभी तो 000000000 इस गणित ने मेरे साथ छल किया ,और कल भी इसी ने दांव साधा,मैं एक बार फ़िर इस गणित के कारण अकेली रह गई ...ब हु हु हु :-(
खैर फ़िर मन को संभाला और रात के तीन बजे तक प्रयत्न कर दो नए ब्लॉग बनाये आरोही जिसका URL हैं http://aarohijivantarang.blogspot.com/
और
वीणापाणी जिसका URL हैं http://vaniveenapani.blogspot.com/
मेरे अभी तक के वाणी और मंथन के प्रयास में आप सभी ने मेरा बहुत उत्साह वर्धन किया ,डॉ,चन्द्र कुमार जैन,महेन जी ,सुश्री लावण्या जी ,श्री दिनेश राय द्विवेदी जी,श्री राज भाटिया जी ,श्री अनुनाद सिंह जी,श्री अजित वडनेरकर जी,श्री जीतेन्द्र भगत जी,सुश्री पारुल जी ,श्री नीरज गोस्वामी जी ,श्री समीर जी,श्री अनिल पुसड़कर जी , श्री राजेश रोशन जी ,सुश्री शोभा जी,श्री अनूप शुक्ल जी,श्री सिद्धेश्वर जी,श्री तरुण जी,श्री प्रियंकर जी ,श्री शिवकुमार मिश्रा जी ,श्री कुश जी,सुश्री रंजना जी,श्री रंजन जी ,डॉ अमर कुमार जी,श्री जीतेन्द्र जी,सुश्री वर्षा जी,व सुश्री संगीता पुरी जी की मैं विशेष रूप से आभारी हूँ की आप सभी ने मेरे दोनों ब्लोग्स पढ़े,व अपनी टिप्पणिया दर्ज करवाकर मुझे रोज़ नया और अच्छा लिखने का हौसला दिया । मुझे भरोसा हैं की आप सब आगे भी मुझे इसी तरह लेखन की प्रेरणा देते रहेंगे। वाणी नामक ब्लॉग पर जो भी मैं संगीत के विषय में लिखती थी अब आपको वीणापाणी पर पढने मिलेगा,और मंथन ब्लॉग की सामग्री आरोही ब्लॉग पर उपलब्ध होगी।
आप सभी से एक और पूछना था की चूँकि मेरे पुराने ब्लोग्स खुल नही रहे इसलिए इन नए ब्लोग्स पर मैं पुराने ब्लॉग का सारा डाटा इंपोर्ट करना चाहती हूँ, वह कैसे करूँ?
आशा हैं आप मेरी पुनःमदद करेंगे ।
सब बढ़ाएंगे हौसला आपका बस एक काम और ये पासवर्ड ट्राई जरूर करते रहिएगा। और इस रोडे को जरूर हटा दें वर्ड वैरिफिकेशन
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeletepryas rat rehna hi manav jivan hai.
Rakesh kaushik
bahut khub
ReplyDeletepryas rat rehna hi manav jivan hai.
Rakesh kaushik
कई बार होता हे, लेकिन याद आ जायेगा, कोई बात नही, जरुर याद आ जायेगा, मेरे बच्चे अभी घर पर नही जब आयेगे तो उन उन से पुछ कर आप कॊ शायद कोई मदद दे सकू.
ReplyDeleteसच कहूं तो एक उपाधि देने का मन हो रहा है आपको
ReplyDeleteऔर वह है "ढक्कन" की।
फिर कभी पासवर्ड बदलें तो उसे एक डायरी में नोट कर के रख लें बाद मे अभ्यस्त हो जाने पर याद ही हो जाएगा वह।