उसकी खोज मैंने,आपने ही नही संसार के हर उस प्राणी ने की जिसने उसे प्रेम किया चाहा,उसकी जरुरत महसूस की हर संभव कोशिश की ,कुछ ने उसे पाया कुछ ने पकरे खोया .कुछ बिरलो ने तो उसकी खोज में सारा संसार छोड़ दिया .किसीको वह
मिला मंदिर में ,मस्जिद में,गुरूद्वारे में .किसी को शब्दों में ,किसी को चित्रों में तो किसी ने गीतों में उसे पा लिया .
नाद ब्रह्म स्वरुप हैं ,और संगीत ईश्वरीय कला .कभी वह सरस्वती स्वरूप हैं,
कभी प्रथम पूज्य गणेश के उदर में बसा हुआ ,
कभी राधा के प्रेम विरह में ,
तो मीरा के भजन में ,
शंकर ,शारदा ,गणेश ,कृष्ण .ईश्वर के हर रूप से प्रस्फुटित हुआ हैं संगीत.
नए वर्ष की शुरुवात अगर खोज के प्रथम स्वर और अंतिम पड़ाव से हो ,तो किसी भी संगीत प्रेमी और और संगीतज्ञ के लिए
इससे सुखद और क्या हो सकता हैं ??
इन्टरनेट पर सर्च करते हुए मुझे कुछ बहुत अच्छी संगीतज्ञ ईश्वर की तस्वीरे मिली ..आप के लिए वही तस्वीरे ...
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ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
अहा! सभी के सभी मनमोहक चित्र हैं!
ReplyDeleteगणेश जी के चित्र तो नयनाभिराम और अद्भुत लगे!
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*****नूतन दशक की बहुत सारी मंगल कामनाएं*****
आदरणीय डॉ.राधिका उमडे़कर बुधकर जी
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आकर सकूँ मिल गया .....सच कहूँ तो मैं धन्य हो गया ...संगीत के प्रति आपकी लगन और आपका प्रस्तुतीकरण ..वाह क्या कहने...दिल खुश हो गया, मेरे मन में उठने वाले भावों को शब्द क्या दूँ ...बहुत- बहुत शुक्रिया
आपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ...आशा है यह नव वर्ष आपके जीवन में खूब सारी खुशियाँ लेकर आएगा ...शुक्रिया
ReplyDeleteअप्रतिम तस्वीरें और उतनी सुन्दर व्याख्या...आपका ब्लॉग अतिसुन्दर है...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज