9/27/2011

राग रंग








कविता ...कभी न कभी हम सब कविता लिखते हैं ,पढ़ते हैं सुनते हैं ...कविता के विषय कई बार वही पर हर बार कविता अलग ..कभी प्रकृति सुन्दरता पर कविता कभी हाले दिल पर कविता ,कभी बढती महंगाई पर कविता ,तो कभी भक्त ने की किसी भगवान पर रची कविता ..कवी जितने कवितायेँ उतनी ,विषय चाहे जितने पर हर विषय पर हजारो लाखो कवितायेँ ...

अब आप सोचेंगे मैं  क्यों कविता के बारे में इतना कुछ कही जा रही हूँ .मामला यह हैं की कविता करना एक कला हैं जैसे की गायन या वादन और जहाँ कला की बात आती हैं वहां उनका पारस्परिक सम्बन्ध भी होता हैं जैसा की कविता और राग की प्रस्तुति में ...

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मैं बताती हूँ ..
जैसे की राग के बारे में पहले भी मैंने बताया हैं ,जिसमे स्वर वर्ण हो वह राग,परंतु .....यह हुई पुस्तकी परिभाषा ,राग क्या होता हैं यह सिर्फ एक कलाकार समझ पाता  हैं और एक श्रोता जो राग को सुनता हैं .राग वह हैं कुछ निश्चित स्वरों और नियमो में बंधे हुए भी संगीत का पूरा विश्व आपके सामने रख दे ,राग वह हैं शास्त्र सज्जित हो लेकिन संगीत का शास्त्र न जानने वालो के हृदयों को छू ले ..राग वह हैं जिसका मूल स्वरूप हमेशा वही हो वही गिने हुए शुद्ध  कोमल स्वर वही निति वही नियम कई बार वही बंदिश पर हर बार उसका रूप अलग ,हर कलाकार की उसी राग में कृति अलग ,उसकी भव्यता उसकी शोभा सज्जा उसकी दिव्यता अलग ,होता यह हैं की जब कोई कलाकार किसी राग को गाता हैं तो वह महज उसके स्वर नहीं गाता उसमे निबद् बंदिश नहीं गाता वह गाता हैं उन स्वरों में अपनी कल्पना ,वह गाता हैं उस राग के स्वरों में अपनी आत्मा का गीत ,वह राग गाता हैं और भूल जाता हैं बाकि सारी  दुनिया ,भूल जाता हैं की वह कौन हैं क्या हैं,यह हैं हमारा रागदारी संगीत ,समृद्ध सुन्दर और सतत नाविन्य पूर्ण ..
 यमन का ही उदाहरण ले -

राग यमन में सातों स्वर लगते हैं सब स्वर शुद्ध ,रात्रि के प्रथम प्रहार में गए बजाये जाने वाले इस राग के  बारे में और लिखने से अच्चा हैं इस मधुरतम और सुन्दरतम राग को थोडा सुना जाएँ,और जाना जाये की कैसे एक ही राग कलाकार की कल्पना से उसकी कला से अलग अलग रूप धर कर श्रोताओ के सामने आता हैं   .-पर शात्री संगीत सुनने से पहले लीजिये सुनिए राग यमन में एक सुंदर गीत -जीवन डोर तुम्ही संग बांधी--


यह हैं राग यमन का चित्र 
एक और सुन्दर मराठी फ़िल्मी गीत 

आदरणीय हिराबाई बरोड़ेकर का गाया राग यमन

पंडित नयन घोष का बजाया राग यमन 



8/05/2011

तारों की माला

आज बहुत दिनों के बाद ब्लॉग लिख रही हूँ ,पिछले महीने सांगीतिक कारणों से यूरोप गयी हुई थी ,वहां कुछ वर्कशॉपस ली,कुछ कार्यक्रम दिए. .वहां जाकर जाना की वहां के लोग भारतीय संगीत,कला और भारतियों का कितना सम्मान करते हैं.बहुत अच्छा लगा वहां जाकर,पराये देश में परायों ने अपनों सा प्यार दिया.वहां इतना अपनापन इतना प्यार मिला ,विचित्र वीणा और भारतीय संगीत के प्रति लोगो का इतना प्रेम और सम्मान देखकर इतनी मन: शांति मिली की आज भी मैं ईश्वर को धन्यवाद दे रही हूँ ..वहां की कई तस्वीरे हैं जो मैं बाद में पोस्ट करुँगी,आज के लिए वहां मैंने सिखाई और मेरे गुरूजी पंडित विश्व मोहन भट्ट जी की बनाई धुन जिसको कुछ शब्द मैंने भी दिए वह लोरी :

2/18/2011

comparison between Baby bathtub And vichitra veena ?????


 मार्केट में बेबी बाथ टब देखकर आरोही ने कहा "माँ मुझे यह बाथ टब खरीदकर दो" ,मैंने कहा:" बेटा तुम्हारे पास हैं ऐसा बाथ टब ",अगली बार पुन:आरोही ने वही बात कही,मैंने भी फिर वही दोहराया .तीसरी बार फिर उसने वही बात कही ,मैंने स्वाभाविक रूप से वही दोहराया 
 
इस बार उसने प्रति उत्तर में कहा :माँ जब तुम एक ही जैसी दो दो " विचित्र वीणा " खरीद सकती हो तो मैं एक जैसे दो बाथ टब क्यों नही खरीद सकती ;-)

1/28/2011

पहली पहली बार ....................



जब कोई सफलता ,कोई चीज़ पहली बार मिलती हैं तो कितना अच्छा लगता हैं न !हम याद रखते हैं उन्हें जिन्होंने पहली बार हमारे लिए कुछ किया .हमें पहली बार कुछ नया दिया .फिर वह चाहे हमारे अपने हो  या हो अविष्कारक .
"आवश्यकता  आविष्कार की जननी " यह बचपन में सुना था ,समझा भी था ,पर कभी यह कहावत मेरे लिए भी मेरी जिंदगी का सबसे खुशनुमा सच होगी सोचा नही था .आने वाला कल पहेली बन कर रहे इसीमे जीवन की सारी सुंदरता बसी हैं ..तब मैं नही जानती थी की कभी मैं भी पहली स्त्री विचित्र वीणा वादिका कहलाउंगी.तब यह भी नही जानती थी की पापा की डांट खाकर सितार 
बजाने वाली राधिका के जीवन का सच्चा प्यार एकमात्र लक्ष्य और एक मात्र चाह संगीत ही बन जायेगा .मुझे याद हैं ,जब मेरी बहने माँ के साथ मेरे मामा ,मामी मौसी के यहाँ जाया करती थी और बाबा मुझे सितार बजाने बिठा लिया करते थे ..मुझे बड़ा गुस्सा आता था ,बहुत दुःख होता था ,लगता वो दोनों वहा कितना मजा कर रही होंगी ,सब भाई बहनों के साथ ..
पर पापा से उसी समय लिए संगीत के सबक ने मेरे जीवन की राह बदल दी ..

'My daddy strongest ' आज अरु ख़ुशी से चिल्ला चिल्ला कर यह कहती हैं तो बड़ी हँसी आती हैं साथ ही यह सच भी सामने आता हैं की हर बेटी के लिए उसके पापा एकदम हीरो होते हैं  और जब वह पापा अपनी बेटी के लिए कुछ ऐसा कर दे जो बेटी के जीवन को नयी दिशा दे ,जो आज तक किसी पापा ने अपनी बेटी के लिए नही किया हो ,तो वही पापा सुपरहीरो बन जाते हैं .
ऐसा ही कुछ मेरे पापा ने मेर लिए किया ..

जबसे विचित्र वीणा अपनाई लगा की यह वो वाद्य हैं जिस पर भारतीय संगीत की विशेषताओ को बखूबी उतारा जा सकता हैं ,पर उसका बड़ा सा आकर ,उसको लाने ले जाने में आने वाली कठिनाई ?????इसी कारण इस प्राचीन ,सुंदर और अप्रतिम वाद्य को कोई अपनाना नही चाहता .

पहली महिला विचित्र वीणा वादिका कहलाने  में गर्व होता हैं ,लेकिन 'एकमात्र 'शब्द दिल में चुभता हैं ,यही कारण था की मैंने बाबा को सहमत किया  की विचित्र वीणा को छोटा किया जाना चाहिए ,और पापा ने मेरे लिए खुद एक छोटी सी विचित्र वीणा बनाई ,एक ऐसी छोटी विचित्र वीणा जो इतिहास में अब तक किसी ने नही बनाई .मेरे इस विचार और बाबा  की बनाई वीणा को सभी कलाकरों ने बहुत सराहा ..
अच्छा लगता हैं न अपने प्रयत्नों को पहचान मिले :-)



अब दिल्ली के संजय रिखी राम जी को मैंने वैसे ही एक विचित्र वीणा बनाने का आर्डर दिया हैं मेर लिए .
 पर पहला नम्बर मेरे बाबा का :-) थेंक्स बाबा ...