साल पूरा हो गया तो मैंने सोचा की क्यों नहीं हमारे ब्लोगर विद्वत् जनों से उनके संगीत संबंधी विचार जाने जाये और उसे एक श्रृंखला का रूप दिया जाये .इसलिए मैंने कुछ प्रश्न हमारे महान चिठ्ठाकारो को भेजे ,और उनका बड़प्पन की उन्होंने मुझे इनके जवाब भी भेजे .
यह प्रयास हैं भारतीय संगीत और उससे जुडी समस्याओं को समझने का और उन्हें सुलझाने का .
is कड़ी में आज सुप्रसिद्ध चिठ्ठाकार श्री अनूप शुक्ला जी की भेंटवार्ता .
ब्लॉग की दुनिया में आदरणीय अनूप शुक्ला जी वह नाम हैं जिनके लिए किसी परिचय की जरुरत नहीं .यह " वीणापाणी "(ब्लॉग)का सौभाग्य हैं की अनूप जी ने इसके लिए भेंटवार्ता दी .प्रस्तुत हैं ,उनसे पूछे गए प्रश्नों पर उनके मूल्यवान उत्तर .
अनूप जी भारतीय संगीत क्या हैं आपकी नज़र में?
मेरी समझ में भारतीय संगीत भारत देश में प्रचलित संगीत है। पुराने समय में अपने आनन्द और ईश्वर की आराधना के लिये गाकर अपने भाव प्रकट करने के तरीके से शुरु हुआ संगीत ही है! शुरु में केवल गायन रहा होगा, बाद में वाद्य जुड़ते गये होंगे।-आप कितनी देर संगीत सुनते हैं?
आपको वोकल ज्यादा पसंद हैं या इंस्ट्रुमेंटल ?
वोकल। वह ज्यादा समझ में आता है।आपके जीवन में संगीत की कितनी प्राथमिकता हैं
पूरा जीवन ही संगीत मय है। तय, ताल , धुन जीवन के हर अंग में किसी न किसी न किसी तरह मौजूद हैं और जीवन को प्रभावित करते हैं। बोलने-चालने में तारतम्य, क्रम, अनुशासन संगीत का ही तो अंग है शायद! खासतौर से रियाज करने, गाने से अलग भी संगीत ही है जो हमारे जीवन में रस का संसार करता है।
बहुत प्राथमिकता है संगीत की जीवन में।
-आप पसंदीदा संगीत का कलैक्शन भी रखते हैं या जैसा सुनने को मिल जाए?
जैसा सुनने को मिल जाये। जिनकी बात लोग कहते हैं उनको सुनने का मन करता है।
आप क्या मानते हैं ?एफएम क्रांति भारतीय संगीत के प्रसार के लिए सहायक है या अपसंस्कृति ?
एफ़ एम क्रांति एक माध्यम है लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का मनोरंजक तरीके से। संगीत अनुशासन की बात करता है। इससे लगता है कि यह अपसंस्कृति का प्रसार कर रहा है। यह तो अपने समाज के लोगों पर है कि वे इस सुविधा का उपयोग कैसे करते हैं। एफ़एम संगीत के प्रसार में सहायक हो सकता है अगर इसका सही , मनोरंजक तरीके से और चतुराई पूर्ण प्रयोग किया जाये।
-आप सिर्फ श्रोता हैं या खुद भी संगीत की किसी विधा की शिक्षा ली है?
मैं मात्र श्रोता हूं। कोई शिक्षा नहीं पाई! इसका अफ़सोस भी है। :)-आपके परिवार में संगीत का माहौल है या सिर्फ आपकी रुचि विकसित हुई?
हमारे परिवार में संगीत का माहौल है। हमारी माताजी, पत्नी और बच्चे और संगीत से संबंधित कार्यक्रम रुचि से देखते हैं। पत्नीजी को संगीत की अच्छी जानकारी भी है। अध्यापन भी करती हैं संगीत का।
-भारतीय संगीत की लोकप्रियता अपेक्षाकृत कम होने के कारण?(आपको क्या लगता हैं की भारतीय संगीत क्यों लोगो को दूसरे संगीत के मुकाबले कम आकर्षित कर रहा हैं ?)
इसका अत्यधिक अनुशासित होना, समय की कमी होना। भारतीय संगीत घंटो रियाज की मांग करता है। भारतीय संगीत का अच्छा जानकार होने के लिये पहले शायद काफ़ी ट्रेनिंग चाहिये होती है। दूसरे विकल्प जल्दी में अपनाये जा सकते हैं। फ़ास्ट फ़ूड की तरह। लेकिन भारतीय संगीत में एक बार रुचि जागने पर फ़िर यह जीवन भर नहीं छूटता। भारतीय संगीत दूसरों के मुकाबले कम आकर्षित करता है शायद लेकिन लोग भूल-भटककर इसकी तरफ़ आते हैं।
-आप किस तरह का संगीत पसंद करते हैं ?(भारतीय शास्त्रीय संगीत,लोक संगीत ,सुगम संगीत यथा गीत ,भजन ,ग़ज़ल ,या फ़िल्मी संगीत )
-आपका पसंदिता कोई गीत ?(संभव हो तो आपकी आवाज़ में )
ऐ मेरे वतन के लोगों,
आ चल के तुझे मैं ले के चलूं,
इन आंखों की मस्ती के दीवाने हजारों हैं
नदी नारे न जाऊ श्याम पैंया पडूं
आओ बच्चों तुम्हें दिखायें।
ये तुरन्त याद आये। और भी बहुत से हैं। गाकर नहीं जी ईईईईईई।
-आपके अनुसार क्या प्रयास किये जाने चाहिए भारतीय संगीत को लोकप्रिय बनाने हेतु ?
-अगर आपको भारतीय संगीत के किसी एक वाद्य को चुनने का मौका मिला तो आप किस वाद्य को अपना वोट देंगे ,जैसे सितार गिटार, वीणा, सरोद, वायलिन .
-अगर कोई संगीत को अपना केरियर चुनना चे तो आप उसे क्या सलाह देना पसंद करेंगे ?
सुनते हैं अनूप जी का पसंदिता गीत " ऐ मेरे वतन के लोगो
तो यह थे अनूप जी,
आगली कड़ी में फिर मिलेंगे एक महान चिठ्ठाकार से .
बहुत ही उम्दा रहा ये साक्षात्कार.. इसी बहाने अनूप जी के पसंदीदा गाने तो पता चले
ReplyDelete