नमस्कार !आपसे प्राप्त टिप्पणियों और मेरे ब्लॉग वाणी और वीणापाणी को आपसे मिले प्रेम के कारण ही मैं आज संगीत विषयक बहुत महत्वपूर्ण पोस्ट निकालने जा रही हूँ ,जब मैंने वाणी ब्लॉग शुरू किया था तो लगा था कोई पढेगा भी या नही ,फ़िर आपकी टिप्पणिया मिली और मुझे वीणापाणी तक आते आते विश्वास हो गया की मैं इस ब्लॉग के जरिये शास्त्रीय संगीत का प्रचार प्रसार जो की मैंने अपने जीवन का ध्येय निश्चित किया हैं कर पाऊँगी .आज श्री रविन्द्र व्यास जी द्वारा वेब दुनिया पर मेरे संगीत ब्लॉग पर आलेख देने से मेरा यह विश्वास दुगुना हो गया ,धन्यवाद ।
अभी अभी आदरणीय पंडित भीमसेन जोशी जी को भारत रत्न दिया जाना तय हुआ हैं , उनके शास्त्रीय संगीत के प्रति योगदान को मेरा नमन । पंडित जी का जनम १४ फरवरी १९२२ को हुआ सन १९९९ मैं उन्हें पदम् विभूषण से सम्मानित किया गया ,ख्याल की गायकी के साथ ही भजन व अभंगो का सुमधुर गायन पंडित जी के गायन की महत्वपूर्ण विशेषता हैं ।
संगीत से जुड़े हर व्यक्ति के लिए आदरणीय पंडित रविशंकर जी का नाम नया नही हैं ,सितार का नाम आते ही जो पहला नाम मन में आता हैं वह पंडित रविशंकर जी का ,भारत रत्न से नवाजे गए पंडित रविशंकर जी ने न सिर्फ़ सितार वादन को लोकप्रिय किया वरन भारतीय शास्त्रीय संगीत को देश के साथ ही विदेशो में भी प्रचारित प्रसारित करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ,७ अप्रेल सन १९२० को बनारस में संगीतज्ञ परिवार में जन्मे आदरणीय पंडित रविशंकर जी १५ वर्ष की अल्प आयु में उस्ताद अल्लौद्दीन खान साहब के शिष्य हुए ,२५ वर्ष की अवस्था में इन्होने पहला संगीत कार्यक्रम दिया , दिल्ली आकाशवाणी में इन्होने १९४९ से १९५६ तक काम किया । इनके सांगीतिक योगदान की बात करे तो सारे वेब पेज भर जाए इसलिए संक्षिप्त रूप से इनके योगदान के बारे में लिखना चाहूंगी ,इन्होने कई वाद्यवृन्द रचनाए लिखी,(भारतीय संगीत में ओर्केस्ट्रा या वाद्यवृन्द के बारे में मैं पहले एक पोस्ट निकल चुकी हूँ,)वाद्यवृन्द को बढ़ावा देने में इनका अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान रहा ,डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया (पंडित जवाहरलाल नेहरू कृत )के नाट्य रुपान्तरण के लिए इन्होने संगीत दिया ,कई नवीन रागों का सृजन किया और दक्षिणी पद्धति के कई रागों को उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत शैली में प्रचारित किया यथा ...जन सम्मोहिनी ,हंसध्वनी ,वाचस्पति,किरवानी आदि । पंडित जी जैसे संगीत के युगंधरो के कारण ही शास्त्रीय संगीत सिखने वाले शिष्यों को सिखने ,नवीन रचनाये बनाने की,प्रेरणा मिलती हैं ।
आदरणीय स्वर्गीय उस्ताद बिस्मिल्लाह खान अर्थात शहनाई का दूसरा नाम । शहनाई का स्थान पहले मंदिरों में था ,वह मंगल वाद्य हमेशा से माना गया लेकिन शास्त्रीय संगीत में इसको महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में आदरणीय उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का अतुलनीय योगदान रहा ,सन १९३० में अपने १४ वर्ष में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब ने कार्यक्रम देना प्रारंभ किया सन १९६६ में उन्होंने इंग्लेंड के एडिम्बरा महोत्सव में शहनाई वादन प्रस्तुत कर विदेशी जमीन पर देशी वाद्य की छाप को अजरामर कर दिया । इन्होने ओबो वादक मिस्टर रुथवेल के साथ जुगलबंदी की । कई देशो का दौरा किया , इन्होने देशी विदेशी कई शिष्य तैयार किए । कई अलंकर्णो के साथ ही इन्हे भारत रत्न से भी विभूषित किया गया ।
आज जब आदरणीय पंडित भीमसेन जोशी जी को भारत रत्न संम्मान मिलना हैं तब मैं इन सभी भारत रत्न अलंकरण से नवाजे जा चुके संगीतज्ञों को शब्दांजली देकर अपनी कृतज्ञता वयक्त करना चाहती हूँ ।इन सभी गान सम्राटो को मेरा सादर प्रणाम ।
इति
raadhika ji sundar v sarthak lekh ke liye dhanyavaad
ReplyDeleteaapkee sangeet ke prati sachchi sraddha ka hi parichayak hai yah post.Aapka sadhuwaad.Sarthak post hai.
ReplyDeleteआदरणिय पण्डित जी को सम्माण मिलने पर बहुत प्रसन्नता हुई।
ReplyDeleteपर मन में एक कसक सी होती है कि पण्डित जसराज को भी इस सम्मान के लायक क्यों समझा नहीं जाता? वे भी तो इस सम्मान के हकदार हैं।
खैर ..
॥दस्तक॥
गीतों की महफिल
तकनीकी दस्तक
हम भी पंडित भीमसेन जोशी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं. सार्थक एवं सामयिक लेख. आभार.
ReplyDeletehttp://mallar.wordpress.com
मै क्या कहूं?
ReplyDeleteबहुत सुंदर, धन्यवाद इस अच्छी जान कारी कए लिये
ReplyDeleteअच्छा संस्मरण और सुन्दर पोस्ट.
ReplyDeleteपँडित भीमसेन जोशी जी, पँडित रविशँकर जी दोनोँ ने मेरे पापाजी के गीतोँ को गाया है और सँगीत दिया है - और खाँ साहब की शहनाई वादन को युगोँ तक याद किया जायेगा -
ReplyDeleteबहुत सुँदर पोस्ट लिखी आपने
राधिका जी
sangeet ke baare mein jankari dekhar kar achha laga. Rochak lekh hai. badhai......
ReplyDeleteradhika ji....sundar lekh ke liye badhai.....
ReplyDeleteJai ho mangal may ho
सुन्दर पोस्ट.मेरे ब्लॉग पैर भी पधारे
ReplyDeleteएक सच्चे रत्न के बारे में. सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteबहुत अच्छा िलखा है आपने । प्रखर वैचािरक अिभव्यिक्त है ।
ReplyDeleteं
http://www.ashokvichar.blogspot.com