पहले माइक नही था,अब अगर अपनी बात कई श्रोताओ तक पहुचानी हो तो जोर से बोलने ,गाने ,और जोर से ही वाद्य बजाने के आलावा कोई दूसरा रास्ता नही था ,इसलिए बडे सितार में बड़ा सा तुम्बा हुआ करता था जो वाद्य की गूंज को और बडा करके उसकी आवाज़ को बडा करके श्रोताओ तक पहुचाएं सितार की दांड भी मोटी हुआ करती थी .लेकिन माइक आने से गायन वादन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव हुआ । सितार की बात करे तो वह अपेक्षा कृत छोटी हो गई ,क्योकि अब वादक के सामने बड़ी सितार पर जोर से आवाज़ में बजाने की समस्या नही थी .स्वाभाविक हैं की छोटी सितार पर बजाना बड़ी सितार पर बजाने से काफी आसन हैं .इस कारण वादन का तकनिकी विस्तार हुआ ।आज के समय में दो प्रकार की सितारे एक पंडित रविशंकर जी की शैली की दूसरी उस्ताद विलायत खां साहेब जी की शैली की सितार बहुत लोकप्रिय हैं ।
पंडित रविशंकर जी(चित्र में ) के नाम से कौन अपरिचित हैं?उहोने भारतीय संगीत को जो दिया हैं वह अतुलनीय,अगणनीय हैं .उनकी वादन शैली ध्रुपद पर आधारित होने से सितार में दो मोटे तार अति मंद्र पंचम (प )और मंद्र षडज (सा ) के उन्होंने लगाये ,इससे हुआ ये की सितार के वादन में गंभीर काम अति सुंदरता से किया जा सकना सम्भव हुआ इनकी शैली की सितारे बड़ी ही सुंदर तरह से सजाई जाती हैं । उपर की और एक अतिरिक्त तुम्बा रखने का प्रावधान भी इस सितार में हैं ,इनकी शैली की सितारे अपेक्षा कृत भारी व बड़ी होती हैं .गुलाब फूलो के आकार की खुंटिया देखते ही बनती हैं .चित्र में पंडित रविशंकर जी की शैली का सितार
सुनिए पंडित रविशंकर जी का बजाया राग किरवाणी ,यह मेरा पसंदिता राग हैं
http://www.youtube.com/watch?v=ZYlPcbNAPH8
लीजिये सुनिए एक सुंदर धुन और गत
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धुन सुनी, वाकई यह संगीत तो सीधा आत्मा को छूता है। सितार पर इस जानकारी के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteवाकई अपने पिटारा खोला है आज.....
ReplyDeletewaah aapaka nlog bahut achcha laga.........
ReplyDeleteSEEDHE MAN KE ANDAR TAK UTARJAATI HAI YE AAWAAZ.....SHUKRIYA AAPKA ITNI MANMOHAK JAANKAARI KA....
ReplyDeleteBahut achchha lagaa aapkee post padhkar.
ReplyDelete{ Treasurer-T & S }
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeletesunder post par afsos sitar wadan se wanchit rahee.
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी के साथ,
ReplyDeleteउम्दा पोस्ट लिखने के लिए बधाई!
आज पंडित रविशंकर जी का बजाया राग किरवाणी सुना,बेहद पसन्द आया,इस प्रस्तुति के लिये बधाई
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