सभी संगीतकार मानते हैं संगीत ईश्वर की तरह यत्र तत्र सर्वत्र हैं,झरने की झर झर में ,चिडियों की ची ची में,हवा की गति में ,बारिश की रिमझिम में,सृष्टि के कण कण में संगीत का वास हैं,संगीत उत्त्पत्ति काल से लेकर ,मंदिरों से निकल कर,दरबारों से निकल कर ,सर्वसाधारण मनुष्य तक पंहुचा,युग बदला . २० वे शतक में संगीत ग्रामोफोन (Gramophone),रेकॉर्ड्स ,सिडी (c.d)और फ़िर कम्प्यूटर (computer )तक पहुँचा । पहले संगीत प्रेमी मिलों पैदल चल कर एक गाँव से दुसरे गाँव संगीत सुनने जाते थे ,वे अब अपने ही शहर ,गाँव में बैठे बैठे ,) टीवी (T.V),और म्यूजिक प्लेयर (music player )पर संगीत सुनने लगे । २० वे शतक के उत्तरार्ध में विश्व में क्रन्तिकारी तकनिकी विकास हुआ ,और इस विकास का सशक्त स्वरूप सामने आया इंटरनेट के रूप में ।
पहले घर में दो चार घंटे अकेले रहना यानि या तो किताबो का साथ या टीवी के शौकीनों के लिए धारावाहिकों का । लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा था की कुछ सालो बाद हम सब घर में रहकर भी पुरे विश्व से कुछ इस कदर जुड़ जायेंगे,जैसे पुरा विश्व हमारे साथ हमारे घर में ,हमारे आँगन में बस रहा हो ?"वसुधैव कुटुम्बकम " का स्वप्न इंटरनेट के कारण एक आज सत्य हो पाया हैं ।
हाँ तो बात हो रही थी कला और कलाकारों की ,संगीत और संगीतकारो की ,कला प्रेमियों की संगीत प्रेमियों की । शिक्षण के क्षेत्र में इंटरनेट ने जहाँ अहम् भूमिका निभाई हैं वहां कला और संगीत के क्षेत्र में भी । गूगल पर इंडियन क्लास्सिकल म्यूजिक (indian classical music )डाला और सर्च बटन पर क्लिक किया की हजारो साइट्स जो भारतीय संगीत से संबंध रखती हैं सामने आ जाती हैं .कुछ संगीतकारों की अपनी साइट्स ,कुछ हिन्दी गीतों को समर्पित साइट्स ,कुछ विशुद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीत को समर्पित जिनमे संगीतकारों का संगीत सुनने के लिए ,डाउनलोड करने के लिए सहज उपलब्ध होता हैं । इस प्रगति के साथ ही एक बड़ी प्रगति उन साइट्स के रूप में सामने आई हैं जो शास्त्रीय संगीत का शिक्षण देती हैं । संगीत संस्थानों के साथ ही कुछ कलाकारों ने भी अपनी इसी ही साइट्स बने हैं । ब्लॉग तो इंटरनेट का वरदान हैं,संगीत प्रेमी ,संगीतकार इस मध्यम के जरिये अपने विचार श्रोताओ ,संगीत रसिको तक पहुँचा रहे हैं ।
कुछ दिन पहले पुणे में अंडरस्कोर रेकॉर्ड्स द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया ,जिसका विषय था संगीत आपका संगत इंटरनेट की । वहां आमंत्रित कलाकारों,अपनी स्वयं की वेबसाइट्स रखने वाले संगीत प्रेमियों,वाद्य निर्माताओ ने इस विषय में अपने विचार वयक्त किए ,इस विषय पर गहन चर्चा हुई की इंटरनेट के द्वारा संगीत की शिक्षा कैसे दी जा सकती हैं ,संगीत को अधिक से अधिक श्रोताओ तक कैसे पहुचाया जा सकता हैं ,इंटरनेट पर संगीत जगत को अधिक समृद्ध कैसे किया जा सकता हैं ,विषय नया था ,दिलचस्प भी था। काफी नई बातें सामने आई । आख़िर समय के साथ ताल मिलकर चलने के लिए संगीत को भी अपनी गति द्रुत करनी होगी और अपना सुर नए विश्व के सुर से मिलाना होगा ।
सुर ताल की संगती करती यह कुछ साइट्स :
http://www.shadjamadhyam.com/ पर जहाँ ऑनलाइन संगीत की शिक्षा दी जाती हैं वहीं http://www.parrikar.org/ पर महान शास्त्रीय संगीत गायकों का संगीत(Archiv music ) सुनने के लिए सहज उपलब्ध हैं । http://www.musicindiaonline.com/ से तो काफी संगीत प्रेमी परिचित हैं । राजीव जी का यह पेज,पुराने गायकों का संगीत, जो ७८ rpm के युग में रिकॉर्ड हुआ था उपलब्ध करवा कार हमें पुराने शास्त्रीय संगीत गायकों के संगीत से परिचित करवाता हैं : http://courses.nus.edu.sg/course/ellpatke/Miscellany/music.htm .आदरणीय शुभा मुद्गल जी का यह ब्लॉग http://www.shubhamudgal.com/ संगीत जगत के कई विचारणीय मुद्दों से हमारा परिचय करवाता हैं और हमारी जानकारी बढ़ाता हैं । http://sarod.com पर हम उस्ताद अमज़द अली खान साहेब के विषय में जहाँ काफी कुछ जान सकते हैं वहीं उनके सरोद वादन के कुछ अंश देख भी सकते हैं । http://homepage.mac.com/patrickmoutal/macmoutal/rag.html इस पेज पर भी आप बहुत अच्छा संगीत सुन सकते हैं .
कुछ वाद्य निर्माताओ की भी अपनी साइट्स हैं जहाँ आप और हम संगीत वाद्यों की ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं जैसे http://www.rikhiram.org/
तो भारतीय संगीत अब इंटरनेटीय संगीत हो रहा हैं ,मुझे तो यही लगता हैं की यह इंटरनेटीय संगीत भारतीय संगीत का हाथ थाम उसे महान ऊँचाइयों तक ले जाएगा ।
इति
वीणा साधिका
राधिका
बहुत अच्छा वीणाजी ---- अरे रे राधिका जी----
ReplyDeleteबहुत आभार आपका इस मूल्यवान जानकारी के लिए...
ReplyDeleteनीरज
बहुत दिनों बाद आईं आप लेकिन अच्छी जानकारी लेकर आई। मैं यहां आपको एक और बढ़िया लिंक देना चाहूंगा। यहां मशहूर संगीतकार खुर्शीद अनवर साहब की आवाज में कुछ अच्छी रिकार्डिंग्स हैं जिसमें उन्होने अपनी आवाज में एक एक रागों के बारे में विस्तार से समझाया है और गाया भी है। आप चाहें तो सुन सकते हैं और डाउनलोड भी कर सकते हैं।
ReplyDeleteएक बार जरूर देखें, बहुत काम का लिंक है।
खुर्शीद अनवर साहब की रागमाला
sangeet ke vishay me mera kuchh kahna uchit n hoga. aapki sadgi se lagta aap ek imandar insan hai.aapko fursat ho kabhi meri kavita (alakshit.blogspot.com) avashy dekhe. dhanyvad.
ReplyDeletekoi jabardasti nahi hai.
पश्चिम में अधिकांश संगीतकारों/ गायकों ने मान लिया है कि अपना संगीत इंटरनेट से मुफ्त डाउनलोड होने दो. इससे उनका संगीत और अधिक लोगों तक पहुंचता है. पैसे के लिए कंसर्ट करो / डिस्क बिक्री पर रायल्टी लो. इंटरनेट Advt. Revenue आय का अतिरिक्त श्रोत है.
ReplyDeleteजबकि भारत में अभी भी संगीत पर लाला-टाइप रिकार्ड कंपनियों का वर्चस्व है, संगीत की मार्केटिंग में गायक / संगीतकार का हस्तक्षेप अपवाद है. जिसके चलते, डाउनलोड के लिए, अधिकांश भारतीय संगीत इंटरनेट पर अवैध तरीक़ों से ही उपलब्ध है. यही कारण है कि भारतीय संगीतजगत इंटरनेट से कोई ख़ास लाभ नहीं उठा पा रहा. आशा करनी चाहिए कि यहां भी लोगों की समझ में समय के साथ बदलाव आएगा.
भूलसुधार, श्रोत = स्रोत
ReplyDeleteजरुर एक नया मुकाम तो मिलेगा ही इस माध्यम से. सुन्दर आलेख.
ReplyDeleteनिश्चय ही "इंटरनेटीय संगीत भारतीय संगीत का हाथ थाम उसे महान ऊँचाइयों तक ले जाएगा ।"
ReplyDeleteआभार ।
बहुत सही कहा आपने.... महत जानकारी के लिए बहुत बहुत आभार....
ReplyDeletewww.sarangi.info
ReplyDeletewww.indianraga.wordpress.com
आज आपके ब्लॉग पर आना सार्थक हो गया !
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी जानकारी आपने दी !
आपका ब्लॉग बेहद भड़कीला है जो आँखों को खटकता है ,,,,, संभव हो तो फाँट कलर चेंज कर दें !
आज की आवाज
कभी कभी वक्त मिलता है तो सुनते हैं। यहां वो बेशकीमती ख़ज़ाना है जो शायद खुले बाजा़र में आसानी से ढूंढे भी नहीं मिलेगा।
ReplyDeleteबढि़या जानकारी!!
ReplyDeleteवैसे मात्र इंटरनेट से या रेकोर्ड सुनकर पूरी तरह से सीखा जाना संभव नहीं, क्योंकि आप सुनकर जो भी आत्मसात करेंगे उसका उपयोग या Output /expression का गुरु बिना सही आकलन हो नहीं पायेगा.
मगर इससे आपके अनुभव में काफ़ी इज़ाफ़ा होगा, और कम मेहनत में आपके पास वह सभी दुर्लभ खज़ाना उपलब्ध होगा, जैसे कि अभी आपने अन्द सागर जी नें उपलब्ध कराया है.
धन्यवाद
इत्तिफाकन आपके ब्लाग पर आगया ...लेकिन दिल खुश होगया इतनी बढिया जानकारी पाकर...अब तो आपका पीछा करना पडेगा...
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